किसी घटना के घटने की संख्या को बारंबारता कहते हैं। चैपलिन (Chaplin, 1975) ने बारंबारता की परिभाषा देते हुए कहा है, ‘‘ कोई प्राप्तांक या घटना जितनी बार घटती है, उसकी संख्या को बारंबारता कहते हैं ।
बारंबारता वितरण क्या है?
बारंबारता वितरण वह प्रविधि (technique) या विधि (Method) है, जिसके द्वारा बारंबारता को संख्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यहाँ प्राप्तांकों के प्रसार अथवा वर्ग के अनुसार बारंबारता का वितरण किया जाता है, जिससे पता चलता है कि किस वर्ग में घटना की कितनी संख्या अर्थात् कितनी बारंबारता है।
चैपलिन (Chaplin, 1975) के शब्दों में ‘‘बारंबारता वितरण से प्राप्तांकों के दिए गए वर्गान्तर या प्रसार में पड़ने वाली घटनाओं की संख्या का बोध होता है ।’’
रेबर तथा रेबर (Reber - Reber, 2001) ने बारंबारता वितरण को परिभाषित करते हुए कहा है कि, ‘‘बारंबारता वितरण का तात्पर्य वर्गों या श्रेणियों के अनुसार प्राप्तांकों के घटित होने की बारंबारता के सूचीकरण पर आधारित वितरण से 4 है।
अत: सुविधा के अनुसार अथवा आवश्यकता के अनुसार बारंबारताओं (Frequencies) को विभिन्न वर्गों ( Classes) अथवा श्रेणियों (Categorus) में वितरित करने वाली सारणी को बारंबारता-वितरण कहा जाता है।’’
इस प्रकार बारंबारता का योगफल ही प्राप्तांकों की कुल संख्या होता है। इस आधार पर बारंबारता वितरण वास्तव में सम्भाव्यता वितरण (Probability distribution) से भिन्न होता है, क्योंकि यहाँ सम्भाव्यताओं का योगफल सदा 1.00 हेाता है ।’
बारंबारता वितरण सारणी कैसे बनायी जाए ?
ये तीन प्रकार निम्नलिखित हैं-
- निरपेक्ष बारंबारता वितरण
- संचयी बारंबारता वितरण
- समानुपाती बारंबारता वितरण
(1) निरपेक्ष बारंबारता वितरण -
वितरण बारंबारता वितरण का यह ऐसा प्रकार है, जिसके द्वारा बारंबारता को संख्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसकी कई विशेषताएँ है-
- यह काफी सरल बारंबारता-वितरण है।’’
- इससे यह पता चलता हे कि एक वर्गान्तर में कोई प्राप्तांक कितनी बार आया है।
- यहां सभी बारंबारताओं (Frequencies) का योगफल छ (प्राप्तांकों की कुल संख्या) के बराबर होता है। लेकिन, इसकी त्रुटि यह है कि इससे यह पता नहीं चल पाता है कि किसी वर्गान्तर में पड़ने वाली बारंबारता छ के किस अनुपात (Proportion) या प्रतिशत (Percentage) में है। फिर भी मनोविज्ञान, आदि व्यवहारपरक विज्ञानों (Behavioural Sciences) में इसी बारंबारता-वितरण विधि का व्यवहार अधिक होता है।’’
2. संचयी बारंबारता वितरण -
वितरण इस प्रकार के वितरण के लिए दिए गए प्राप्तांकों (Scores) को निरपेक्ष बारंबारता- वितरण (absolute Frequency distribution) में यथार्थ विधि (Exact Method) द्वारा व्यवस्थित कर लिया जाता है। इसके बाद प्रत्येक वर्गान्तर की संचयी बारंबारता (Cululative f) को निर्धारित किया जाता है।’’
3. समानुपाती बारंबारता वितरण
वितरण यहाँ निरपेक्ष बारंबारता-वितरण (Absolute frequency istribution) की तरह ही दिए गए आँकड़ों या प्राप्तांकों का वितरण किया जाता है।’’
इसके बाद प्रत्येक वर्गान्तर की बारंबारता की समानुपाती बारंबारतर को निकाला जाता है। इससे पता चलता है कि प्रत्येक वर्गान्तर में पड़ने वाली बारंबारता अपने बारंबारता की कुल संख्या के किस अनुपात में है। इसी प्रकार प्रत्येक वर्गान्तर में पड़ने वाली समानुपाती बारंबारता की प्रतिशत बारंबारता (Percentage Frequency) को भी निकाला जा सकता है।’’
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