हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने पहली बार डार्क एनर्जी का प्रत्यक्ष रूप से पता लगाया है। XENON1T नाम का यह प्रयोग, विश्व का सबसे संवेदनशील डार्क मैटर प्रयोग है, इस प्रयोग को इटली में आई.एन.एफ.एन लेबोरेटरी नाज़ियोनाली डेल ग्रेन सासो (INFN Laboratori Nazionali del Gran Sasso) में भूमिगत रूप से संचालित किया गया था।
- डार्क एनर्जी ऊर्जा का एक रहस्यमय रूप है जो ब्रह्मांड के लगभग 68% हिस्से का निर्माण करती है और दशकों से भौतिकविदों एवं खगोलविदों के कौतुहल का विषय बनी हुई है।
प्रमुख बिंदु
- XENON1T एक डार्क मैटर रिसर्च प्रोजेक्ट है, जो इटैलियन ग्रेन सासो नेशनल लेबोरेटरी में संचालित (Italian Gran Sasso National Laboratory) है।
- यह एक गहरी भूमिगत अनुसंधान सुविधा है जिसकी विशेषता प्रयोगों द्वारा तीव्रता के साथ महत्त्वाकांक्षी डार्क मैटर कणों का पता लगाना है।
- इन प्रयोगों का उद्देश्य लिक्विड क्सीनन टारगेट चैंबर (Liquid Xenon Target Chamber) में परमाणु रिकोइल के माध्यम से दुर्लभ अंतःक्रियाओं द्वारा कमज़ोर इंटरैक्टिंग मैसिव पार्टिकल्स (Weakly Interacting Massive Particles- WIMPs) के रूप में कणों का पता लगाना है।
अन्य डार्क मैटर और एनर्जी एक्सपेरिमेंट:
- लक्स-ज़ेपलिन (LUX-Zeplin)- यह अगली पीढ़ी का एक डार्क मैटर प्रयोग है जिसे सैनफोर्ड अंडरग्राउंड रिसर्च फैसिलिटी, अमेरिका में संचालित किया जा रहा है।
- पांडाएक्स-एक्सटी (PandaX-xT)- चीन जिनपिंग भूमिगत प्रयोगशाला में संचालित परियोजना।
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी:
- डार्क मैटर आकाशगंगाओं को एक साथ आकर्षित (Attracts) और धारण (Holds) करता है, जबकि डार्क एनर्जी हमारे ब्रह्मांड के विस्तार का कारण बनती है।
- दोनों घटकों के अदृश्य होने के बावजूद डार्क मैटर के बारे में बहुत कुछ ज्ञात है, क्योंकि 1920 के दशक में डार्क मैटर के अस्तित्व के बारे में बताया गया, जबकि 1998 तक डार्क एनर्जी की खोज नहीं की गई थी।
डार्क एनर्जी के बारे में:
- बिग बैंग की उत्पत्ति एवं इसका विस्तार लगभग 15 अरब वर्ष पहले हुआ। पूर्व में खगोलविदों का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्मांड का विस्तार धीमा हो जाएगा और फिर अंततः इसका लोप (Recollapse) हो जाएगा।
- हालाँकि हबल टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा के अनुसार, ब्रह्मांड का तेज़ी से विस्तार हो रहा है।
- खगोलविदों का मानना है कि तेज़ी से विस्तार की यह दर उस रहस्यमय डार्क फोर्स या एनर्जी के कारण है जो आकाशगंगाओं को अलग कर रही है।
- 'डार्क' (Dark) शब्द का प्रयोग अज्ञात को दर्शाने हेतु किया जाता है।
- निम्नलिखित चित्र 15 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड के जन्म के बाद से उसके विस्तार की दर में परिवर्तन को दर्शाता है।
डार्क एनर्जी की संभावित व्याख्या:
- अंतरिक्ष की संपत्ति: अल्बर्ट आइंस्टीन यह अनुभव करने वाले पहले व्यक्ति थे कि शून्य अंतरिक्ष कुछ भी नहीं है।
- आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का एक नियम, एक ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक वाले संस्करण से जुड़ा है जिसका तात्पर्य है कि "शून्य अंतरिक्ष" (Empty Space) में उसकी स्वयं की ऊर्जा हो सकती है।
- क्योंकि यह ऊर्जा अंतरिक्ष का ही एक गुण है, अंतरिक्ष के विस्तार के रूप में इसे परिभाषित/मिश्रित नहीं किया जाएगा। जैसे-जैसे यह अंतरिक्ष के अस्तित्व में आएगा, अंतरिक्ष की यह ऊर्जा अधिक दिखाई देगी। नतीजतन ऊर्जा के इस रूप से ब्रह्मांड का तीव्र गति से विस्तार होगा।
- पदार्थ का क्वांटम सिद्धांत: अंतरिक्ष कैसे ऊर्जा प्राप्त करता है, इसके प्रमाण के रूप में एक और स्पष्टीकरण पदार्थ के क्वांटम सिद्धांत से उत्पन्न होता है।
- इस सिद्धांत में "शून्य अंतरिक्ष" वास्तव में अस्थायी (आभासी) कणों से भरा होता है जो लगातार बनते हैं और पुनः गायब हो जाते हैं।
- पाँचवाँ मूलभूत बल: ब्रह्मांड में चार मूलभूत बल हैं और काल्पनिक सिद्धांतों ने पाँचवें बल का प्रस्ताव दिया है जिसे चार बलों द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
- इस पाँचवें बल में छिपाने या पटल (Hide or Screen) पर लाने के लिये डार्क एनर्जी के कई मॉडल विशेष तंत्र का उपयोग करते हैं।
- कुछ सिद्धांतकारों ने इसे "सर्वोत्कृष्टता" नाम दिया है, जो यूनानी दार्शनिकों के पाँचवें तत्त्व के नाम पर है।
- हालाँकि कोई भी सिद्धांत अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। इसके कारण डार्क एनर्जी को "सभी विज्ञानों में सबसे गहरा रहस्य" के रूप में देखा गया है।
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