चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंटार्कटिक संधि (Antarctic Treaty) की 60वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
- अंटार्कटिक संधि एकमात्र एकल संधि का उदाहरण है जो पूरे महाद्वीप को नियंत्रित करती है।
- यह एक अस्थायी आबादी वाले महाद्वीप के लिये नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की नींव भी रखती है।
प्रमुख बिंदु
परिचय:
- अंटार्कटिक महाद्वीप को केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये संरक्षित करने एवं असैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिये 1 दिसंबर, 1959 को वाशिंगटन में 12 देशों के बीच अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- 12 मूल हस्ताक्षरकर्त्ता अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, फ्राँस, जापान, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, सोवियत संघ, यूके और यूएस हैं।
- यह संधि वर्ष 1961 में लागू हुई, तत्पश्चात इसे कई अन्य देशों ने स्वीकार किया है।
- अंटार्कटिका को 60 °S अक्षांश के दक्षिण में स्थित बर्फ से आच्छादित भूमि के रूप में परिभाषित किया गया है।
- हाल ही में एक विशाल हिमखंड 'ए-76' (Iceberg 'A-76) अंटार्कटिका में वेडेल सागर (Weddell Sea) में स्थित रोने आइस शेल्फ (Ronne Ice Shelf) के पश्चिमी भाग में देखा गया है।
सदस्य:
- वर्तमान में इसमें 54 पक्षकार हैं। वर्ष 1983 में भारत इस संधि का सदस्य बना।
मुख्यालय:
- ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना।
प्रमुख प्रावधान:
- वैज्ञानिक अनुसंधान की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना।
- देश महाद्वीप का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये कर सकते हैं।
- सैन्य गतिविधियों, परमाणु परीक्षणों और रेडियोधर्मी कचरे के निपटान का निषेध।
- क्षेत्रीय संप्रभुता को निष्प्रभावी करना अर्थात् किसी देश द्वारा इस पर कोई नया दावा करने या मौजूदा दावे का विस्तार नहीं किया जाएगा।
- इस संधि द्वारा किसी देश की इस महाद्वीप पर दावेदारी संबंधी किसी भी विवाद पर रोक लगा दी गई।
विवाद और समाधान:
- इसे लेकर समय-समय पर तनाव की स्थिति बनी रहती है। उदाहरणस्वरूप महाद्वीप क्षेत्र को लेकर अर्जेंटीना और यूके के अपने अतिव्यापी दावे हैं।
- हालाँकि संधि की सक्रियता का एक प्रमुख कारण कई अतिरिक्त सम्मेलनों और अन्य कानूनी प्रोटोकॉल के माध्यम से अर्जित क्षमता है।
- ये सम्मेलन और अन्य कानूनी प्रोटोकॉल समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण, खनन पर प्रतिबंध तथा व्यापक पर्यावरण संरक्षण तंत्र को अपनाने से संबंधित हैं।
- विदित है कि इस पर वर्षों से विवाद उत्पन्न होते रहे हैं लेकिन इन समझौतों के साथ संधि ढाँचे के विस्तार के माध्यम से कई विवादों को हल किया गया है। इस संपूर्ण ढाँचे को अब अंटार्कटिक संधि प्रणाली के रूप में जाना जाता है।
अंटार्कटिक संधि प्रणाली:
परिचय:
- यह अंटार्कटिक में देशों के बीच संबंधों को विनियमित करने के उद्देश्य से की गई व्यवस्थाओं की जटिल संरचना है।
- इसका उद्देश्य सभी मानव जाति के हितों में यह सुनिश्चित करना है कि अंटार्कटिका हमेशा के लिये शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु उपयोग किया जाता रहेगा और अंतर्राष्ट्रीय विवाद की वस्तु नहीं बनेगा।
- यह एक वैश्विक उपलब्धि है और 50 से अधिक वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मिसाल है।
- ये समझौते अंटार्कटिक की अनूठी भौगोलिक, पर्यावरणीय और राजनीतिक विशेषताओं के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी और उद्देश्यपूर्ण हैं और इस क्षेत्र के लिये एक मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय शासन ढाँचा तैयार करते हैं।
संधि प्रणाली के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समझौते:
- 1959 की अंटार्कटिक संधि।
- अंटार्कटिक सीलों के संरक्षण के लिये 1972 कन्वेंशन।
- अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर 1980 का कन्वेंशन।
- अंटार्कटिक संधि के लिये पर्यावरण संरक्षण पर 1991 का प्रोटोकॉल।
भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम
परिचय:
- यह नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च (National Centre for Antarctic and Ocean Research- NCPOR) के तहत एक वैज्ञानिक अनुसंधान और अन्वेषण कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत 1981 में हुई थी जब अंटार्कटिका के लिये पहला भारतीय अभियान बनाया गया था।
- NCPOR देश में ध्रुवीय और दक्षिणी महासागरीय वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ संबंधित रसद गतिविधियों की योजना, प्रचार, समन्वय और निष्पादन के लिये नोडल एजेंसी है।
- इसकी स्थापना 1998 में हुई थी।
दक्षिण गंगोत्री:
- दक्षिण गंगोत्री भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अंटार्कटिका में स्थापित पहला भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान बेस स्टेशन था।
- अभी यह क्षतिग्रस्त हो गया है और सिर्फ आपूर्ति का आधार बन गया है।
मैत्री:
- मैत्री अंटार्कटिका में भारत का दूसरा स्थायी अनुसंधान केंद्र है। इसे 1989 में बनाया गया था।
- मैत्री, शिरमाकर ओएसिस नामक चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित है। भारत ने मैत्री के आसपास मीठे पानी की एक झील भी बनाई जिसे प्रियदर्शिनी झील के नाम से जाना जाता है।
भारती:
- भारती, 2012 से भारत का नवीनतम अनुसंधान केंद्र का संचालन। इसका निर्माण शोधकर्त्ताओं को कठोर मौसम के बावजूद सुरक्षित होकर काम करने में मदद के लिये किया गया है।
- यह भारत की पहली प्रतिबद्ध अनुसंधान सुविधा है और मैत्री से लगभग 3000 किमी पूर्व में स्थित है।
अन्य अनुसंधान सुविधाएँ:
सागर निधि:
- 2008 में भारत ने शोध के लिये सागर निधि की स्थापना की।
- एक आइस-क्लास पोत, अंटार्कटिक जल को नेविगेट करने वाला पहला भारतीय पोत, यह 40 सेमी गहराई की पतली बर्फ को काट सकता है।
आगे की राह:
- अंटार्कटिक संधि कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक जवाब देने में सक्षम रही है परंतु 1950 के दशक की तुलना में 2020 के दशक में परिस्थितियाँ मौलिक रूप से भिन्न हैं। अंटार्कटिक आंशिक रूप से प्रौद्योगिकी के साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण भी बहुत अधिक सुलभ है।
- मूल 12 देशों की तुलना में अब अधिक देशों के महाद्वीप में वास्तविक हित निहित हैं। इसके अतिरिक्त विशेष रूप से तेल जैसे कुछ वैश्विक संसाधन दुर्लभ होते जा रहे हैं।
- अंटार्कटिक संसाधनों, विशेष रूप से मत्स्यपालन और खनिजों में चीन के हितों के बारे में काफी अटकलें हैं और चीन उन संसाधनों तक सुरक्षित पहुँच के लिये संधि प्रणाली में कमज़ोरियों का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है।
- इसलिये सभी हस्ताक्षरकर्त्ताओं के साथ ही विशेष रूप से महाद्वीप में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी वाले लोगों को संधि के भविष्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
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