अफगानिस्तान में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या, हिंसाग्रस्त कंधार में कवरेज के दौरान गंवाई जान, जानें उनके बारे में सबकुछ

अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई है। अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि दानिश सिद्दीकी अफगान सुरक्षा बलों के साथ एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट कर रहे थे और उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई।
               अफगानिस्तान में 16 जुलाई 2021 को भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की वहां के स्थानीय बलों और तालिबानी सेना के बीच झड़प में जान चली गई. दानिश पुलित्जर पुरस्कार विजेता थे. उनकी मौत पर अफगानिस्‍तान में मौजूद भारतीय राजदूत फरीद मामुंदजे ने गहरा दुख व्‍यक्‍त किया है. जानकारी के अनुसार, वे अंतरराष्‍ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स से जुड़े हुए थे.


आपको बता दें कि दानिश की मौत अफगानिस्तान सेना और तालिबान के बीच हुई गोलीबारी के दौरान हुई है. इस दौरान उन्‍हें गोली लग गई थी. टोलो न्यूज के मुताबिक, स्पिन बोल्डक जिले में दानिश पिछले कई दिनों से मौजूदा हालात को कवर कर रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगानिस्तान की स्पेशल फोर्सेस जब एक रेस्क्यू मिशन पर थी, तब दानिश उनके साथ मौजूद थे.
अफगानिस्तान में जारी हिंसा
पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित हो चुके दानिश सिद्दीकी की गिनती दुनिया के बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट में होती थी. वह मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय एजेंसी रॉयटर्स के साथ कार्यरत थे और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के कवरेज के लिए गए थे.

अफगानिस्तान के राजदूत ने क्या कहा?
अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कंधार में मेरे एक दोस्त दानिश सिद्दीकी की हत्या की दुखद खबर से गहरा दुख हुआ. भारतीय पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता अफगान सुरक्षा बलों में शामिल थे. मैं उनसे दो हफ्ते पहले उनके काबुल जाने से पहले मिला था. उनके परिवार और संबंधी के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.

पुलित्जर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं दानिश 
दानिश सिद्दीकी को साल 2018 में पुलित्जर पुरस्कार  से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था. दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी जर्नलिस्ट के रूप में की थी, बाद में वह फोटो पत्रकार बन गए थे.
13 जुलाई को भी दानिश पर हमला
इससे पहले 13 जुलाई को भी दानिश पर हमला हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे. इसकी जानकारी दानिश ने ट्वीट कर दी थी और कहा था कि वह भाग्यशाली थे कि बच गए. उन्होंने 13 जुलाई को अपने ट्वीट में लिखा था- जिस हम्वी (बख्तरबंद गाड़ी) में मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से कम 3 आरपीजी राउंड और अन्य हथियारों से निशाना बनाया गया था. मैं लकी था कि मैं सुरक्षित रहा और मैंने कवच प्लेट के ऊपर से टकराने वाले रॉकेटों के एक दृश्य को कैप्चर कर लिया.


कंधार में बिगड़ते हालात
भारत ने कंधार के इसी बिगड़ते हालात के मद्देनजर 10 जुलाई को कंधार में वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों, सहायक कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों को भारतीय वायु सेना की उड़ान से निकाला और वापस बुलाया.

दानिश सिद्दीकी: एक नजर में
दानिश मुंबई के रहने वाले थे. उन्हें रॉयटर्स के फोटोग्राफी स्टाफ के साथ पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया था. उन्होंने दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएट किया था. उन्होंने 2007 में जामिया के मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली थी.
              उन्होंने टेलीविजन से अपना करियर शुरू किया और 2010 में रॉयटर्स से जुड़े. इसी हफ्ते जब तालिबान ने कंधार के स्पिन बोल्डक पर कब्जा किया तो स्पेशल फोर्सेस के साथ लगातार उसकी मुठभेड़ शुरू हो गईं. पिछले कई दिनों से दोनों के बीच भीषण संघर्ष जारी है. दानिश इसी मिशन को कवर कर रहे थे.

पुलित्जर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं दानिश सिद्दीकी 
साल 2018 में दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर पुरस्कार  से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था। दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी जर्नलिस्ट के रूप में की थी, बाद में वह फोटो पत्रकार बन गए थे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दानिश सिद्दीकी के निधन पर शोक जताया। ठाकुर ने कहा कि वह अपने पीछे अपना शानदार काम छोड़ गए हैं।

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