विदेशी जहाज़ों हेतु चीन के नए समुद्री नियम क्या है। - Maritime Rule for Foreign Ships

हाल ही में चीन ने नए समुद्री नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें जहाज़ों को चीनी जल क्षेत्र (प्रादेशिक जल क्षेत्र) में प्रवेश करने पर सामानों के विवरण की जानकारी देनी होगी, जो 1 सितंबर, 2021 से प्रभावी होगा।
  • चीन अपने नक्शे पर तथाकथित "नाइन डैश लाइन" (Nine Dash Line) के तहत दक्षिण चीन सागर के अधिकांश जल पर दावा करता है, जो फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया सहित कई अन्य देशों द्वारा विवादित है।

परिचय :

  • सबमर्सिबल, परमाणु जहाज़ों, रेडियोधर्मी सामग्री ले जाने वाले जहाज़ों और थोक तेल, रसायन, तरलीकृत गैस एवं अन्य ज़हरीले तथा हानिकारक पदार्थों को ले जाने वाले जहाज़ों के संचालक, जो चीन की समुद्री यातायात सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं, को चीनी क्षेत्रीय जल में प्रवेश करने पर सामानों के विवरण की जानकारी देनी होगी।
  • चीन लगभग 1.3 मिलियन वर्ग मील दक्षिण चीन सागर पर अपने संप्रभु क्षेत्र के रूप में दावा करता है। वह क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य ठिकाने बना रहा है।
  • इसे समुद्री पहचान क्षमता को बढ़ावा देने के लिये सख्त नियमों को लागू करके समुद्र में चीन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु किये गए प्रयासों के संकेत के रूप में देखा जाता है।
  • चीन की दृष्टि से इस क्षेत्र में अमेरिका की घुसपैठ मुखर प्रकृति की है जो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता का सबसे बड़ा विध्वंसक हो सकता है।
नेविगेशन और व्यापार पर प्रभाव :
  • भारतीय वाणिज्यिक जहाज़ों के साथ-साथ भारतीय नौसेना के जहाज़ नियमित रूप से दक्षिण चीन सागर की जलधारा को पार करते हैं, जिसके माध्यम से प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग गुज़रते हैं।
  • इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता भारत के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। भारत दक्षिण चीन सागर के तटवर्ती राज्यों के साथ तेल और गैस क्षेत्र में सहयोग सहित विभिन्न गतिविधियाँ करता है।
  • 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार दक्षिण चीन सागर के माध्यम से होता है और भारत का 55% व्यापार इस जल क्षेत्र और मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
अंतर्राष्ट्रीय  कानून के साथ विसंगति : 
  • इसे संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea-UNCLOS) के साथ असंगत होने के रूप में देखा जाता है, जिसमें कहा गया है कि सभी देशों के जहाज़ों को किसी भी "प्रादेशिक जल ” के माध्यम से गैर-दुर्भावना के साथ पार करने का अधिकार देता है"।
क्षेत्रीय अशांति :
  • अगर चीन नए नियमों को विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में सख्ती से लागू करता है तो इससे तनाव बढ़ने की आशंका है। इस क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देश नौवहन की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए नौसैनिक अभियान चलाकर चीन के दावों को चुनौती दे सकते  हैं।

नाइन डैश लाइन:

  • यह चीन के दक्षिणी हैनान द्वीप के सैकड़ों किलोमीटर दक्षिण और पूर्व में विस्तृत है, जो सामरिक रूप से पेरासल और स्प्रैटली द्वीप शृंखलाओं को कवर करती है।
  • इसे अधिकांश देशों द्वारा UNCLOS के साथ असंगत माना जाता है, किसी राष्ट्र के तट से 12 समुद्री मील के भीतर के क्षेत्र को उस राष्ट्र का क्षेत्र माना जाता है, इसमें वह राष्ट्र अपने कानून बना सकता है और जिस साधन का जैसे चाहे प्रयोग कर सकता है।
  • लगभग 2000 वर्ष पूर्व इन दोनों द्वीप शृंखलाओं पर चीन का अधिकार माना जाता था।
  • हेग स्थित मध्यस्थता के स्थायी न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) ने वर्ष 2016 में एक निर्णय जारी किया जिसमें चीन के दावों को अंतर्राष्ट्रीय कानून में आधार की कमी के रूप में खारिज कर दिया। चीन ने तब इस फैसले को खारिज कर दिया था।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार एवं ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है तथा समुद्री साधनों के प्रयोग के लिये नियमों की स्थापना करता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस कानून को वर्ष 1982 में अपनाया था लेकिन यह नवंबर 1994 में प्रभाव में आया।
  • कन्वेंशन बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी को प्रादेशिक समुद्र सीमा के रूप में और 200 समुद्री मील की दूरी को विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र सीमा के रूप में परिभाषित करता है।
  • भारत वर्ष 1982 में UNCLOS का हस्ताक्षरकर्त्ता बना।

दक्षिण चीन सागर

  • दक्षिण चीन सागर दक्षिण-पूर्व एशिया में पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा है।
  • यह चीन के दक्षिण में, वियतनाम के पूर्व और दक्षिण में, फिलीपींस के पश्चिम में और बोर्नियो द्वीप के उत्तर में है।
  • सीमावर्ती राज्य और क्षेत्र (उत्तर से दक्षिणावर्त): चीनी जनवादी गणराज्य, चीन गणराज्य (ताइवान), फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और वियतनाम।
  • यह ताइवान जलडमरूमध्य से पूर्वी चीन सागर और लुज़ोन जलडमरूमध्य द्वारा फिलीपीन सागर से जुड़ा हुआ है।
  • इसमें कई शोल, रीफ, एटोल और द्वीप शामिल हैं। पैरासेल द्वीप समूह, स्प्रैटली द्वीप समूह और स्कारबोरो शोल सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।

मलक्का जलडमरूमध्य

  • यह एक जलमार्ग है जो अंडमान सागर (हिंद महासागर) और दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) को जोड़ता है।
  • यह पश्चिम में सुमात्रा के इंडोनेशियाई द्वीप और प्रायद्वीपीय (पश्चिम) मलेशिया व पूर्व में चरम दक्षिणी थाईलैंड के बीच संचालित है और इसका क्षेत्रफल लगभग 25,000 वर्ग मील है।
  • जलडमरूमध्य का नाम मेलाका (पहले मलक्का) के व्यापारिक बंदरगाह से लिया गया है जो मलय तट पर 16वीं और 17वीं शताब्दी में महत्त्वपूर्ण था।


Post a Comment

أحدث أقدم